12 मार्च 2009

ऐसा मेरा देश निराला

सुबह सुबह मन्दिर की घंटी,

खेतों में बैलों की हलचल ,

पनघट पर गीतों की माला,

ऐसा मेरा देश निराला,

जीवन की बगिया में यहाँ पर,

सब मिलकर है प्रीत जोड़ते ,

सबका का मन गंगा सा निर्मल,

कोई न मिलेगा मन का काला,

ऐसा मेरा देश निराला,

पावन है यहाँ प्रेम बहन का,

पावन माँ की ममता प्यारी,

पावन है संतों की माला,

ऐसा मेरा देश निराला,

रामगोपाल जाट "कसुम्बी"