05 नवंबर 2012

राजस्थान के मरु अंचल के जैतारण में जन्मे दरियाव जी महाराज कबीर की भांति मारवाड़ में सदुपदेश और जनकल्याण को अपने जीवन का ध्येय बनाने वाले अनोखे संत थे ,

उनकी बातें लगती साधारण है लेकिन उनका महत्व और सीख दूरदर्शितापूर्ण है, जैसे -

दरिया गैला जगत से , समझ औ मुख से बोल ,
नाम रतन की गांठड़ी, गाहक बिन मत खोल,



दरियाव जी की सीख - साच का अंग




उत्तम काम घर में करे , त्यागी सबको त्याग ,



दरिया सुमिरे राम को , दोनों ही बडभाग ,



मिधम काम घर में करे , त्यागी गृह बसाय ,



जन दरिया बिन बंदगी , दोउ नरकां जाय ,



दरिया गृही साध को, माया बिना न आब ,



त्यागी होय संग्रह करे, ते नर घणा खराब ,



गृही साध माया संचे , लागत नांही दोख ,



त्यागी होय संग्रह करे , बिगड़े सब ही थोख ,



हाथ काम मुख राम है,हिरदे साँची प्रीत ,



जन दरिया गृही साध की, याही उत्तम रीत,



दस्त सूं दो जग करे मुख सुं सुमिरे राम ,



ऐसा सौदा न बणे, लाखों खर्चे दाम ,







03 जुलाई 2012

30 जून 2012


सेठ श्री नेमीचंद जी तोषनीवाल, जसवंतगढ़ का 18 वें राज्यस्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्री बृजकिशोर शर्मा द्वारा सम्मान किया गया, इस अवसर पर पंचायत राज मंत्री महेन्द्रजीत सिंह और शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ भी मौजूद थे,
श्री तोषनीवाल ऐसे महापुरुष है जिनका जन्म मानो सेवा के लिए ही हुआ है गौशाला, हॉस्पिटल, और शाला भवनों के लिए और अन्य संशाधनो के लिए तोषनीवाल जी ने मानव मात्र की सेवार्थ खोलकर मदद की है, इस अवसर पर उन्होंने कहा की मेरे लिए सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है,

06 अगस्त 2010

नजर सुं निरख्या

जितरी पास नजर सुं निरख्या, उतरा ही दूर गिया,
जितरा हरख हिये में राख्या, भीतर घाव किया,
अन्तस री आतस उर जागी,
धपळक आग हिये में लागी,
प्रीत तणी अमूझ अभागी,
पिघल रळक नैणां में छागी,
ज्यूँ ज्यूँ जतन किया रोकण रा , प्याला छलक गिया,
जितरा हरख हिय में राख्या, उतरा घाव किया,
अंतस मन कुरलाव गावे,
गुंगो गैलो जगत बतावे
सुण सुण मन काया कळपावै
इ जग ने अब कुण समझावे
खा खा जगत थपेड़ा काठा हिम्मत हार गिया
जितरा हरख हिय में राख्या भितर घाव किया
मत कर मान सोच मन मैला
संभल पांव धर जगत झमेला
प्रीत रीत जवानी खेला
ऊमर ढळतां जीव अकेला
हुय सके अळगो ही रहणो, मत ना भूल किया
जितरा हरख हिय में राख्या, भीतर घाव किया
जितरी पास नजर सुं निरख्या ,
उतरा ही दूर गिया,
जितरा हरख हिय में राख्या,
भीतर घाव किया,

सुस्नेही पाठकों ,
आप सभी का मुझे अपार स्नेह मिल रहा है आपके इ - सन्देश और फ़ोन जो मुझे आते है वो इस बात का सबूत है की आप इसको काफी पसंद करतें है,
पिछले काफी दिनों से मैं व्यस्त था , व्यस्त तो हूँ पर आज आपके लिए कुछ लिख रहा हूँ,
धन्यवाद
रामगोपाल जाट

29 जुलाई 2010

पाथल और पीथल


पातळ'र पीथळ

अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले
भाग्यो।

नान्हो सो
अमर
यो चीख पड़्यो राणा रो सोयो दुख
जाग्यो।

हूं लड़्यो घणो हूं सह्यो घणो

मेवाड़ी मान बचावण
नै

हूं पाछ नहीं राखी रण में

बैरयाँ
री खात
खिंडावण
में,

जद याद करूं हळदी घाटी नैणां में रगत उतर
आवै,

सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा
ज्यावै,

पण आज बिलखतो देखूं हूं

जद राज कंवर नै रोटी
नै,

तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूं

भूलूं हिंदवाणी चोटी
नै

मै'लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता
कोनी,

सोनै री थाळ्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता
कोनी,

हाय जका करता पगल्या

फूलां री कंवळी सेजां
पर,

बै आज रुळै भूखा तिसिया

हिंदवाणै सूरज रा
टाबर,

आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर
छाती,

आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिखस्यूं अकबर नै
पाती,

पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो
लियां,

चितौड़ खड़्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां
छियां,

मैं झुकूं कियां? है आण मनैं

कुळ रा केसरिया बानां
री,

मैं बुझूं कियां हूं सेस लपट

आजादी रै परवानां
री,

पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर
आयो,

मैं मानूं हूं दिल्लीस तनैं समराट् सनेशो
कैवायो।

राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो' सपनूं सो
सांचो,

पण नैण करयो
बिसवास नहीं जद बांच बांच
नै फिर बांच्यो,

कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो

कै आज हुयो सूरज
सीतळ,

कै आज सेस रो सिर डोल्यो

आ सोच हुयो समराट्
विकळ,

बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण
नै,

किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण
नै,

बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै

रजपूती गौरव भारी
हो,

बो क्षात्र धरम रो नेमी हो

राणा रो प्रेम पुजारी
हो,

बैरयाँ
रै मन रो कांटो हो बीकाणूं पूत खरारो
हो,

राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो
हो,

आ बात पातस्या जाणै हो

घावां पर लूण लगावण
नै,

पीथळ नै तुरत बुलायो हो

राणा री हार बंचावण
नै,

म्हे बांध लियो है पीथळ सुण पिंजरै में जंगळी शेर
पकड़,

ओ देख हाथ रो कागद है तूं देखां फिरसी कियां
अकड़?

मर डूब चळू भर पाणी में

बस झूठा गाल बजावै
हो,

पण टूट गयो बीं राणा रो

तूं भाट बण्यो बिड़दावै
हो,

मैं आज पातस्या धरती रो मेवाड़ी पाग पगां में
है,

अब बता मनै किण रजवट रै रजपूती खून रगां में
है?

जद पीथळ कागद ले देखी

राणा री सागी
सैनाणी,

नीचै स्यूं धरती खसक गई

आंख्यां में आयो भर
पाणी,

पण फेर कही ततकाल संभळ आ बात सफा ही झूठी
है,

राणा री पाघ सदा ऊंची राणा री आण अटूटी
है।

ल्यो हुकम हुवै तो लिख पूछूं

राणा नै कागद रै
खातर,

लै पूछ भलांई पीथळ तूं

आ बात सही, बोल्यो
अकबर,


म्हे आज सुणी है नाहरियो

स्याळां रै सागै
सोवैलो,

म्हे आज सुणी है सूरजड़ो

बादळ री ओटां
खोवैलो,


म्हे आज सुणी है चातगड़ो

धरती रो पाणी
पीवैलो,

म्हे आज सुणी है हाथीड़ो

कूकर री जूणां
जीवैलो,


म्हे आज सुणी है थकां खसम

अब रांड हुवैली
रजपूती,

म्हे आज सुणी है म्यानां में

तरवार रवैली अब
सूती,

तो म्हांरो हिवड़ो कांपै है मूंछ्यां री मोड़ मरोड़
गई,

पीथळ राणा नै लिख भेज्यो, आ बात कठै तक गिणां
सही?


पीथळ रा आखर पढ़तां ही

राणा री आंख्यां लाल
हुई,

धिक्कार मनै हूं कायर हूं

नाहर री एक दकाल
हुई,


हूं भूख मरूं हूं प्यास मरूं

मेवाड़ धरा आजाद
रवै

हूं घोर उजाड़ां में भटकूं

पण मन में मां री याद
रवै,

हूं रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज
चुकाऊंला,

ओ सीस पड़ै पण पाघ नहीं दिल्ली रो मान
झुकाऊंला,

पीथळ के खिमता बादळ री

जो रोकै सूर उगाळी
नै,

सिंघां री हाथळ सह लेवै

बा कूख मिली कद स्याळी
नै?


धरती रो पाणी पिवै इसी

चातग री चूंच बणी
कोनी,

कूकर री जूणां जिवै इसी

हाथी री बात सुणी
कोनी,


आं हाथां में तरवार थकां

कुण रांड कवै है
रजपूती?

म्यानां रै बदळै बैरयाँ री

छात्यां में रैवैली
सूती,

मेवाड़ धधकतो अंगारो आंध्यां में चमचम
चमकैलो,

कड़खै री उठती तानां पर पग पग पर खांडो
खड़कैलो,

राखो थे मूंछ्यां ऐंठ्योड़ी

लोही री नदी बहा
द्यूंला,

हूं अथक लड़ूंला अकबर स्यूं

उजड़्यो मेवाड़ बसा
द्यूंला,

जद राणा रो संदेश गयो पीथळ री छाती दूणी
ही,

हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी
ही।


पातळ=प्रताप। पीथळ=कवि पृथ्वीराज
राठौड़ जका महाराणा प्रताप रा साथी अर अकबर रै दरबार रा नवरतनां में सूं एक हा।
अमर
यो
=महाराणा प्रताप रो बेटो अमरसिंह। चेतकड़ो=राणा प्रताप रो
घोड़ो। बाजोट=जीमण सारू बणी काठ री चौकी। आडावळ=अरावली। पण=प्रण। कूकर=कुत्तो।
कड़खो=विजयगान।

ऊपर की फोटो भाई धर्मा की है