29 मई 2010

सांवरिया, थू सोयग्यो जाय कठै



चोङै धाङै ढोल - नगाड़े,
लाज लुटले आज अठै,
थुं सोयग्यो जाय कठै,

जलमहार सौदागर बण जद, बोली देतो नीं सरमावे,
स्वारथ री दुनियां में डूबी, मां खुद ही जद भाव बतावे,
भाई निरखे नैण निजारां, बापू मरदंग ताल बजावे,
सुसरो बैद कुठोड़ा खाग्यो, लाजां मरती कांई बतावे,
धरम डूबग्यो सुण सांवरिया,
पाप पसरग्यो देख अठै ,
थू सोयग्यो जाय कठै,

मिनखां में मिनखापण कोनी, तनिक लोभ लाळ में मरग्या,
बोझ मरे पापां सुं धरती, कपटी चोर जुआरी रहग्या,
कहतां बात पडूं लजकाणो, मिनख जका लाखीणा मरग्या,
इज्जत रा रुखवाळा ही जद आंख्यां मीच अंधेरो करग्या,
आतां-जातां सुण-सुण बातां,
हिवङै माहीं होड़ उठै,
थू सोयग्यो जाय कठै,


पंडितजी परखै परनारी, गीता ज्ञान ताक में धरग्या,
माथै ऊपर लोग दिखाऊ, खाली तिलक चनण रा रहग्या,
जा मंदिर में धरम उठाले, पत्थर रा ठाकुर जी रहग्या,
अकरम करता नीं सरमावे, किरतब देख रामजी डरग्या,

धरमाथळ में भगतण नाचै,
सुण थारो ही कुरब घटे,
थुं सोयग्यो जाय कठे,


अबळा रा आंसू घणमूंघा , मोती मोल रेत में रळग्या,
सुपणै रा संसार सजाया, कागद रे पाठे ज्यूँ गलग्या,
बागां रा रुखवाळा जागी, के कानां रे ताळा जङग्या,
निरभै किंकर नींद घुरावे, बाङां जुरङ गधेङा बङग्या,

सांई थारा चेला-चांटी,
बात गमावै नाक कटे,
थुं सोयग्यो जाय कठे,


लुच्चां मौज गरीबां फांसी, चोर-चोर मौसेरा मिळग्या,
रुळा खुळा ऐ भांत भांत रा, खांप खांप रा भेळा भिळग्या,
कांई मिनख घड़े बेमाता, सतजुग रा के सांचा बळग्या,
भार सांसङी सहतां-सहतां, सुण छाती रा छोडा जळग्या,
माटी रा रामतिया बणग्या,
मिनख देख ले आज अठे,
थुं सोयग्यो जाय कठे,

थुं जे सिरजनहार जगत रो, परळै बोल करणियों कुण है,
थुं जे राम मौत नीं बगसै, मन सुं बोल मरणियों कुण है,
थुं राधा री मांग भरणियों, मगसी मांग भरणियो कुण है,
थारी रमत बिगाड़े बिण रो, खाली पेट भरणियों कुण है,
मारण-तारण वाळो थुं ही,
देवां कुण ने दोष अठे,
थुं सोयग्यो जाय कठे,

चोङै धाङै ढोल - नगाड़े,
लाज लुटले आज अठै,

सांवरियां थुं सोयग्यो जाय कठै,

26 मई 2010

थोड़ी सी जिंदगाणी में

काया- माया बादळ छाया,
खोज मिटे
ज्यूँ पाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
नदी किनारे पांव पसारया, रीजे मत न भोळे में,
है कितनी औकात बावळा, जासि पैल हबोळै में,
बिरथा गाल बजावे झूठा, फ़स कर झामरझोळै में,
अधबीच रामत छोड़ अधूरी,
पलक झपे उठ जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,

आंख्यां मीच अपुठो दोङै, लारै खाडा कावळ है,
सावचेत हु पग धर करणी, कोनी ठीक ऊतावळ है,
सोने रा डूंगर मत जाणी, अळगा जितरा सावळ है,
चेत रेत में रळ जावेला, तिलक माथला चावळ है,
हाथ मसळतो रह जावेला,
कीं नीं आणी जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
बङसी कुणसी जाय बाङ में, लुकसी कुणसी खाळी में,
हीयै माहीं फेर कांगसी, आसी अटक दंताळी में,
भौ भौ भटक बारणै आयो, रह्ग्यो करम खुजाळी में,
ठाणे पूग भुंवाळी खाई, फंसग्यो फेर पंजाळी में,

लख चौरासी फिरौ भटकता,
फेर पिलिज्यो घाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,

माया - मद में भूल मति मन, रहणो ठौङ ठिकाणे में,
पाव रति सारो नी लागे, आयां पछै निसाणै में,
घाणी - माणी खींचा - ताणी, जीवण जग उळझाणै में,
चेत मुसाफिर कीं नीं पङियो, गांठा घणी घुळाणै में,

कुण जाणे किण टेम बुलावो ,
आ जावे अणजाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
काया- माया बादळ छाया,
खोज मिटे ज्यूँ पाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,

25 मई 2010

पड़दे रे भितर मत झांकी


पड़दे रे भीतर मत झांकी,
ढक्योड़ो भरम उघड़ ज्यासी,
ढक्योड़ो भरम उघड़ ज्यासी,
जीवण में गांठयां घुळ ज्यासी,
थुं जाणै कितरा देख अठै, बैठा है मूंड मुंडायोङा,
थुं जाणै कितरा देख अठै, बुगला नर भेख बणायोङा,
थुं जाणै कितरा देख अठै, मठधारी तिलक लगायोडा,
बैठा कितरा अवधूत अठै, तन माहिं राख़ रमायोङा,
भगत ऱी भक्ति ने मत देख,
धरम ऱी धज्जियाँ उड़ ज्यासी,
पड़दे रे भितर मत झांकी,
धकियोड़ो भरम उघड़ ज्यासी,
पीछे पड़दे ऱी छाया में, थुं जाने छल री माया है,
दस तेरा कै बीसा पंथी, थुं जाने सब उळझाया है ,
गाभां में सैंग उघाड़ा है, हर पांव तिसळता पाया है,
मिनखां ने कांई दोस अठे, बे देव लुढकता आया है,
जमयोङी रंजी मती उङाय,
पेड़ री जङां उखड ज्यासी,
पड़दे रे भितर मत झांकी,
ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी,
भींतां भीतर सुं खोळी है, ऊपर तो रंग रचोळा है,
चोळा तो ऊपर का खोळा, भीतर ले समंद हबोळा है,
देख्यां सुं घण पिसतावैलो, कीं नहीं पोल का गोळा है,
सागर री लैरां देखी पण, भीतर किण ने टंटौळा है,
सोनै रो झोळ उतरता ही,
ठाकुर जी पीतल रळ ज्यासी,
पड़दे रे भीतर मत झांकी,
ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी,
धरम री चादर ऊपर ताण, सुता कुण मौजां माणै है,
कुणी नै नीत बिगाड़ी देख, कुणा रो जीव ठिकाणे है,
करै कुण किरतब काळी रात,बां नै के थुं नहीं जाणे है,
हवा में खोज मंडै बिण रा, पागी थुं पग पिछाणै है,
भेद री बातां नै मत खोल,
पोल रो ढोल बिखर ज्यासी,
पड़दे रे भितर मत झांकी,
ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी,
आप री अपणायत ने देख, अणेसो मन में आवेला,
थारां ने निजरां सूं निहार, घिरणा सूं नाक चढ़ावेला,
परवाङा बांच्या जे पाछा, नेणा री नींद उड़ावेला,
चाले ज्यूँ चालण दे चरखो, आंख्यां री सरम गमावेला,
जीवण सु मति करी खिलवाड़ ,
कागदी फुल बिखर ज्यासी,
पड़दे रे भितर मत झांकी,
ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी,
पड़दे रे भितर मत झांकी, ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी,
ढकियोङो भरम उघड़ ज्यासी, जीवण में गांठयां पड़ ज्यासी,

24 मई 2010

मन घोड़ो बिना लगाम रो


कुण जाणे किण टेम बदल्ज्या,
कोड़ी एक छदाम रो ,
मन घोड़ो बिना लगाम रो,

काया ने घर में पटक झटक, घूमै मौजी असमाना में ,
कुबदी लाखों उत्पात करे, सूतै रे धरज्या कानां में,
महं ढूंढूं बाग़ बगीचा में, ओ छाने राख़ मसाणां में,
हैरान करे काया कल्पे, लाधै नी पलक ठिकाणा में ,
दोड़े हङबङ दङबङ करतो,
है भूखो ख़ाली नाम रो,
मन घोड़ो बिना लगाम रो,

आभो सींवा ही कियां

आभो सींवा ही कियां
सूळी में पायोङा प्राण , जीवां ही कियां,
फाटे गाभै कारी, आभो सीवाँ ही कियां,
जंगल में आग लागी,
बिल में निवास है,
कुणसी अब बाकी,
बचणे री आस है,
सास घुटे मायं, बारै आवाँ ही कियां ,
फाटे गाभै कारी, आभो सीवाँ ही कियां,

कांई पडूतर देवे,
पुछले सवाल रो ,
धणी बण बैठो जियां,
कोई चोरी माल रो,
ताळवै रे जीभ चिपगी, कैवां ही कियां,
फाटे गाभै कारी, आभो सीवाँ ही कियां

13 मई 2010

राजस्थानी कविता

हवेली री पीड़
आँख्या-गीड़, उमड़ती भीड़
सूनी छोड़ग्या बेटी रा बाप !
बुझाग्या चुल्है रो ताप
कुण कमावै, कुण खावै
कुण चिणावै, कुण रेवै !
जंगी ढोलां पर चाल्योड़ी तराड़
बोदी भींता रा खिंडता लेवड़ा
भुजणता चितराम
चारूंमेर लाग्योड़ी लेदरी
बतावै भूत-भविस अ’र वरतमान
री कहाणी ! कीं आणी न जाणी !
आदमखोर मिनख
बैंसग्या पड्योड़ा सांसर ज्यूं
भाखर मांय टांडै
जबरी जूण’र जमारो मांडै !
काकोसा आपरै जींवतै थकां
ई भींत पर
एक कीड़ी नी चढ़णै देवतां
पण टैम रै आगै कीं रो जोर ?
काकोसा खुद कांच री फ्रेम में
ऊपर टंगग्या
पेट भराई रै जुगाड़ मैं
सगळो कडुमो छोड्यो देस
बसग्या परदेस,
ठांवा रै ताळा, पोळ्यां में बैठग्या
ठाकर रूखाळा।
टूट्योड़ी सी खाट
ठाकरां रा ठाट
बीड्यां रो बंडल, चिलम’र सिगड़ी
कुणै में उतर्योड़ो घड़ो
गण्डक अ’र ससांर घेरणै तांई
एक लाठी
अरड़ावै पांगली पीड़ स्यूं गैली
बापड़ी सूनी हवेली !
साभार --- डॉ. एस.आर.टेलर

11 मई 2010

आचार्य महाप्रज्ञ के महानिर्वाण पर आचार्य श्री को सादर श्रदांजलि


तम के नाशक, ज्योति के सपूत,
तुमको नमन है, हे शान्ति दूत,
विश्व पटल पर, जब तक मानव लेश रहेगा,
'महाप्रज्ञ' का ज्ञान, ज्योति बन अवशेष रहेगा,
हर मन के सत्कार, प्रणाम है तुमको मेरा,
मन मे है आभार, जान ये ज्ञान अकूत ,

तम के नाशक, ज्योति के सपूत,
तुमको नमन है, हे शान्ति दूत,
हे ज्योति संत, ये अहिंसा दर्शन जग याद रखेगा,
जो लेगा इसकी राह, अमरता का स्वाद चखेगा,
है मेरा तुम्हें नमन, चरणों मे श्रदा सुमन है,
नमन है तुम्हारे दिव्य ज्ञान को, नमन तुम्हे है, हे सपूत ,

तम के नाशक, ज्योति के सपूत,
तुमको नमन है, हे शान्ति दूत ,

आचार्य महाप्रज्ञ के महानिर्वाण पर आचार्य श्री को सादर श्रदांजलि