मत पूछे के ठाठ भायला
मत पूछे के ठाठ भायला पोळी मै खाट भायला
पनघट पायल बाज्या करती ,सुगनु चुड़लो हाथा मै
रूप रंगा रा मेला भरता ,रस बरस्या करतो बातां मै
हान्स हान्स कामन घणी पूछती , के के गुज़री रात्यां मै
घूंघट माई लजा बीनणी ,पल्लो देती दांता मै
नीर बिहुणी हुई बावड़ी , सूना पणघट घाट भायला
पोळी मै है खाट भायला
छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो ,गोटे हाळी कांचली
मांग हींगलू नथ रो मोती ,माथे रखडी सांकली
जगमग जगमग दिवलो जुगतो ,पळका पाडता गैणा मै
घनै हेत सूं सेज सजाती ,काजल सारयां नैणा मै
उन नैणा मै जाळा पड़गा ,देख्या करता बाट भायला
पोळी मै खाट भायला
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो
दुनिया कैती कामणगारो ,अपने जुग को छैलो हो
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै
इब तो म्हारो राम रूखाळो , मिलगा दोनूं पाट भायला
पोळी मै खाट भायला
बिन दांता को हुयो जबाडो चश्मों चढ्गो आख्याँ मै
गोडा मांई पाणी पडगो जोर बच्यो नी हाथां मै
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई
चिटियो म्हारो साथी बणगो ,डगमग हालै टाट भायला
पोळी मै है खाट भायला