दरियाव जी की सीख - साच का अंग
उत्तम काम घर में करे , त्यागी सबको त्याग ,
दरिया सुमिरे राम को , दोनों ही बडभाग ,
मिधम काम घर में करे , त्यागी गृह बसाय ,
जन दरिया बिन बंदगी , दोउ नरकां जाय ,
दरिया गृही साध को, माया बिना न आब ,
त्यागी होय संग्रह करे, ते नर घणा खराब ,
गृही साध माया संचे , लागत नांही दोख ,
त्यागी होय संग्रह करे , बिगड़े सब ही थोख ,
हाथ काम मुख राम है,हिरदे साँची प्रीत ,
जन दरिया गृही साध की, याही उत्तम रीत,
दस्त सूं दो जग करे मुख सुं सुमिरे राम ,
ऐसा सौदा न बणे, लाखों खर्चे दाम ,
उत्तम काम घर में करे , त्यागी सबको त्याग ,
दरिया सुमिरे राम को , दोनों ही बडभाग ,
मिधम काम घर में करे , त्यागी गृह बसाय ,
जन दरिया बिन बंदगी , दोउ नरकां जाय ,
दरिया गृही साध को, माया बिना न आब ,
त्यागी होय संग्रह करे, ते नर घणा खराब ,
गृही साध माया संचे , लागत नांही दोख ,
त्यागी होय संग्रह करे , बिगड़े सब ही थोख ,
हाथ काम मुख राम है,हिरदे साँची प्रीत ,
जन दरिया गृही साध की, याही उत्तम रीत,
दस्त सूं दो जग करे मुख सुं सुमिरे राम ,
ऐसा सौदा न बणे, लाखों खर्चे दाम ,
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