राजस्थान के मरु अंचल के जैतारण में जन्मे दरियाव जी महाराज कबीर की भांति मारवाड़ में सदुपदेश और जनकल्याण को अपने जीवन का ध्येय बनाने वाले अनोखे संत थे ,
उनकी बातें लगती साधारण है लेकिन उनका महत्व और सीख दूरदर्शितापूर्ण है, जैसे -
दरिया गैला जगत से , समझ औ मुख से बोल ,
नाम रतन की गांठड़ी, गाहक बिन मत खोल,
उनकी बातें लगती साधारण है लेकिन उनका महत्व और सीख दूरदर्शितापूर्ण है, जैसे -
दरिया गैला जगत से , समझ औ मुख से बोल ,
नाम रतन की गांठड़ी, गाहक बिन मत खोल,